इलेक्ट्रो मेग्नेटिक काँटेक्टर का डायग्राम
2. इलेक्ट्रो-न्युएमेटिक काँटेक्टर (EPC):-
ऐसे काँटेक्टर ट्रैक्शन पावर सर्किट में लगाये गए है। इलेक्ट्रो- न्युएमेटिक काँटेक्टर को ओपन या क्लोज्ड करने के लिए बिजली और एयर का उपयोग किया जाता था। इसके लिए बैटरी की सप्लाई तथा कंप्रेस्ड हवा ली जाती हैं। जब काँटेक्टर के कॉइल को बिजली की सप्लाई दी जाती है तो यह कॉइल मैगनेटाइज़ेड होकर हवा का रास्ता खोल देती हैं। और एयर प्रेसर यह काँटेक्टर क्लोज्ड हो जाते है। इस प्रकार के कॉन्टैक्टर का ड्राइविंग मैकेनिज्म बिजली की सप्लाई तथा एयर प्रेसर होता है। इस प्रकार के कॉन्टैक्टर में इलेक्ट्रो-न्यूमेटिक वाल्व लगी रहती है। EP वाल्व के पास EP कट-आउट कॉक खुला रहने से एयर का प्रेसर जो पहले से उपलब्ध रहता है। इलेक्ट्रो न्यूमेटिक वाल्व (Electro Pneumatic valve) के इनरजाइज़ होने पर इसका एक्जॉस्ट पोर्ट बंद हो जाता है और यह वाल्व एयर के प्रेसर को सर्वोमोटर के पिस्टन पर भेजता है। जिसके कारण कॉन्टैक्टर बंद हो जाता है। करंट की सप्लाई (EP-वाल्व में) काटने पर कंप्रेस्ड एयर प्रेसर सर्वोमोटर (Servo-Motor) में जाना बंद हो जाता है। जिसके कारण EP-वाल्व का एग्जॉस्ट (Exhaust) पोर्ट खुल जाती हैं, और सर्वोमोटर (Servo-Motor) के पिस्टन पर रुकी हुई हवा (एयर) एग्जॉस्ट (Exhaust) पोर्ट से बाहर निकल जाती हैं। जिससे कॉन्टैक्टर (Contactor) खुल (open) हो जाते है।
3. ड्रम कन्टेक्टर (DRUM CONTACTOR)
काँटेक्टर एक विशेष तरह का स्विच हैं। यह लोको में लगे किसी लोड को रिमोट के मुताबिक ऑक्सीलियारी सर्किट अथवा पावर सर्किट से संबंध करता हैं। काँटेक्टर, कंट्रोल सर्किट की 110 वोल्ट डीसी सप्लाई से रिमोट कंट्रोलड होता है। इसकी मदद से हाई वोल्टेज सर्किट को नियंत्रित किया जाता हैं।
कार्य पध्दति के अनुसार Contactor चार प्रकार के होते हैं।
1. इलेक्ट्रो मैग्नेटिक काँटेक्टर (EMC)
2. इलेक्ट्रो न्युमेटिक काँटेक्टर (EPC)
3. ड्रम काँटेक्टर (DRUM CONTACTOR)
4. कैम काँटेक्टर (CAM CONTACTOR)
1. इलेक्ट्रो मैग्नेटिक काँटेक्टर (EMC):-
कार्य पध्दति के अनुसार Contactor चार प्रकार के होते हैं।
1. इलेक्ट्रो मैग्नेटिक काँटेक्टर (EMC)
2. इलेक्ट्रो न्युमेटिक काँटेक्टर (EPC)
3. ड्रम काँटेक्टर (DRUM CONTACTOR)
4. कैम काँटेक्टर (CAM CONTACTOR)
1. इलेक्ट्रो मैग्नेटिक काँटेक्टर (EMC):-
यह काँटेक्टर लोको में उपस्थित विभिन्न 3 फेज़ AC ऑक्सीलियारी मोटरों को संचालित (स्टार्ट) करने के लिए लगाए गए हैं। सभी इलेक्ट्रो मैग्नेटिक काँटेक्टर एलेक्ट्रिक लोको के कैब-2 के काँटेक्टर पैनल (TK पैनल) पर लगे हुए हैं। C-118 को छोड़ कर। इन काँटेक्टर को ओपन या क्लोज्ड करने के लिए 110 वोल्ट डीसी सप्लाई का उपयोग किया जाता हैं। इलेक्ट्रो मैग्नेटिक काँटेक्टर में एक एक कंट्रोल coil होती है। जब 110 वोल्ट बैटरी की सप्लाई इस COIL को दी जाती हैं तब इसमे मैगनेट उत्पन्न हो जाता है इसलिए यह कॉइल आर्मेचर को अपनी तरफ आकर्षित करता है। जिसके कारण ड्राइव मैकेनिज्म के द्वारा काँटेक्टर का मोबाइल जॉ ऑपरेट हो जाता हैं।
मोबाइल जॉ के फिक्स्ड जॉ कांटेक्ट से सटने के कारण तीनो कांटेक्ट की 3 फेज़ सप्लाई काँटेक्टर से संबंधित ऑक्सीलियारी मोटर तक पहुँच जाती हैं। संबंधित ऑक्सीलियारी मोटर चालू हो जाते है। लोको में लगे इलेक्ट्रो मैग्नेटिक काँटेक्टर C-101, C-102, C-103, C-105, C-106, C-107, C-118 और C-108 है।
मोबाइल जॉ के फिक्स्ड जॉ कांटेक्ट से सटने के कारण तीनो कांटेक्ट की 3 फेज़ सप्लाई काँटेक्टर से संबंधित ऑक्सीलियारी मोटर तक पहुँच जाती हैं। संबंधित ऑक्सीलियारी मोटर चालू हो जाते है। लोको में लगे इलेक्ट्रो मैग्नेटिक काँटेक्टर C-101, C-102, C-103, C-105, C-106, C-107, C-118 और C-108 है।
काँटेक्टर C-118 को इलेक्ट्रो-न्युएमेटिक काँटेक्टर के रूप में कुछ लोको में लगाया जा रहा है तक यह HTC-2 में काँटेक्टर C-145 के पास या शंटिंग के पास लगा होगा।
2. इलेक्ट्रो-न्युएमेटिक काँटेक्टर (EPC):-
ऐसे काँटेक्टर ट्रैक्शन पावर सर्किट में लगाये गए है। इलेक्ट्रो- न्युएमेटिक काँटेक्टर को ओपन या क्लोज्ड करने के लिए बिजली और एयर का उपयोग किया जाता था। इसके लिए बैटरी की सप्लाई तथा कंप्रेस्ड हवा ली जाती हैं। जब काँटेक्टर के कॉइल को बिजली की सप्लाई दी जाती है तो यह कॉइल मैगनेटाइज़ेड होकर हवा का रास्ता खोल देती हैं। और एयर प्रेसर यह काँटेक्टर क्लोज्ड हो जाते है। इस प्रकार के कॉन्टैक्टर का ड्राइविंग मैकेनिज्म बिजली की सप्लाई तथा एयर प्रेसर होता है। इस प्रकार के कॉन्टैक्टर में इलेक्ट्रो-न्यूमेटिक वाल्व लगी रहती है। EP वाल्व के पास EP कट-आउट कॉक खुला रहने से एयर का प्रेसर जो पहले से उपलब्ध रहता है। इलेक्ट्रो न्यूमेटिक वाल्व (Electro Pneumatic valve) के इनरजाइज़ होने पर इसका एक्जॉस्ट पोर्ट बंद हो जाता है और यह वाल्व एयर के प्रेसर को सर्वोमोटर के पिस्टन पर भेजता है। जिसके कारण कॉन्टैक्टर बंद हो जाता है। करंट की सप्लाई (EP-वाल्व में) काटने पर कंप्रेस्ड एयर प्रेसर सर्वोमोटर (Servo-Motor) में जाना बंद हो जाता है। जिसके कारण EP-वाल्व का एग्जॉस्ट (Exhaust) पोर्ट खुल जाती हैं, और सर्वोमोटर (Servo-Motor) के पिस्टन पर रुकी हुई हवा (एयर) एग्जॉस्ट (Exhaust) पोर्ट से बाहर निकल जाती हैं। जिससे कॉन्टैक्टर (Contactor) खुल (open) हो जाते है।
3. ड्रम कन्टेक्टर (DRUM CONTACTOR)
ये Contactor ड्रम के आकार के बने होते है। जो सर्वोमोटर में भेजी गई हवा के अनुसार ऑपरेट होते है। इस प्रकार के Contactor का Driving Mechanism ई० पी० वाल्व के माध्यम से कार्य करता है। इसके अन्दर दो ई0 पी0 वाल्व लगे होते है। इसमें
12 फिक्स कॉन्टैक्ट होते है तथा कुल 6 मोबाईल कॉन्टैक्ट होते है जो एक ड्रम जैसी आकृति पर लगे होते है। इस ड्रम के मुवमेंट से ये कॉन्टेक्ट खुलते और बंद होते है। सभी कॉन्टैक्ट कापर के बने होते हैं और इसका operation off load पर होता है।अर्थात् जब GR “O” पर होता है तब ऐसे कॉन्टेक्टर को ऑपरेट किया जाता है। इसीलिए ऐसे कॉन्टेक्टर के साथ आर्क चूट नही लगे हुए है। ड्रम कान्टैक्टर को मैनुअली आपरेट करने के लिए इसमें एक ऑपरेटिगं हैंडल लगा होता है। इसमें एक लॉक पिन भी लगी होती है। ये भी हाई टेन्शन Compartment में लगे होते हैं।
उदाहरण :- Reversor J1, J2 , CTF-1+2+3
Note:- J-1 J-2 में लॉकिंग key होता है। जब लोको डेड किया जाता है तब दोनो Reversor को neutral position में रखकर लॉक कर दिया जाता है।
4.कैम कॉन्टैक्टर(CAM-CONTACTOR)
यह एक मेकैनिकल कॉन्टैक्टर है। इस तरह के कॉन्टैक्टर का ड्राइविंग मैकेनिज्म एक घूमाने वाला यंत्र रहता है। ऐसे कॉन्टैक्टर में एक शैफ्ट पर एक से ज्यादा कैम बने होते है। कैम के चलने से या मूवमेंट से कॉन्टैक्टर खुलते और बंद होते है। ऐसे कॉन्टैक्टर हाई टेंशन सप्लाई में लगे हुए रहते है। जैसे - CGR-1, CGR-2, CGR-3।
CAM contactor ka ni mila please share.
ReplyDeleteOk
ReplyDeletePlease send me book
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