रिले (Relay)
यह एक ऐसा यंत्र है जो किसी इलेक्ट्रिकल आपरेशन जैसे सर्किट में वोल्टेज करेन्ट की मात्रा, किसी उपकरण का ठीक-ठीक काम करना अथवा किसी आपरेशन का एक कमबद्ध तरीके से जाँच करने के लिए लगा हुआ है। यह काम relay, energise या De-energise होकर करता है । यह भी रिमोट कन्ट्रोल होता है । इसके मुख्य रूप से दो भाग होते है।
मैकेनिकल डिवाईस तथा एक्जीलरी कॉन्टेक्ट।
Relay मुख्यत दो प्रकार के होते है।
A. इलेक्ट्रीकल रिले (Electrical Relay)
1. वोल्टेज रिले (Voltage Relay):- Q-20. Q-30. QOP-1. QOP-2, QOA, QCVAR
2. करंट रिले (Current Relay)- QLM, QRSI-1 & 2, QLA, QE, QF-1&2, QD -1&2
B. मेकैनिकल रिले (Mechanical Relay)
1. Pressure Relay/Switch:- प्रेसर रिले निम्नलिखित हैं।
QPDJ, RGEB, RGCP, RGAF, SWC, P1, P2
2. Circulation Relay :- यह दो तरह के होते है।
I. Air Circulation Relay:- QVMT1-2, QVRH, QVSL-1& 2, QVSI-1& 2, QVRF
ii. Oil Circulation Relay:- QPH
Electric लोको में निम्नलिखित प्रकार के Relay लगे हुए है।
1. सेफ्टी रिले (Safety Relay) :- वह रिले जिनका auxiliary contact MTDJ branch पर लगा होता है और संबंधित सर्किट में किसी प्रकार की खराबी होने पर energise होकर अपने auxiliary contact (interlock) के माध्यम से MTDJ branch की सप्लाई काट देता है , सेफ्टी रिले कहलाता है । साधारणत सभी सेफ्टी रिले में लाल
टारगेट लगा रहता है, जो उसके energise होने पर ड्राप कर जाता है। केवल (QLM relay में मेकेनिकल लॉक उपलब्ध है। ) इसलिए लाल टारगेट रिसेट किये बिना उसका interlock MTDJ branch पर नहीं बैठता है । सभी सेफ्टी रिले कैब -2 में ALP की तरफ लॉकर में अवस्थित है । जैसे- QLM, QRSI, QOP, QOA/QSIT
2. कन्ट्रोल रिले (Control Relay):- जो रिले किसी उपकरण के कार्य का नियंत्रण करता है कन्ट्रोल रिले कहलाता है। जैसे-Q100
3. ऑक्सीलियारी रिले(Auxiliary Relay):- वह रिले जो दूसरे रिले की सहायता करता है आकजीलरी रिले कहलाता है। जैसे Q-118, रिले Q-44 का आक्जीलरी रिले है।
4. टाईम डिले रिले-आन टाईप रिले-QTD-105, QTD-106, QTD-101, और QSVM
5. टाईम लैग रिले-ऑफ टाईप रिले-Q-118, Q-119, Q-44 और PR-1
रिले के प्रकार( (Types of Relay)
लोको में निम्नलिखित प्रकार के रिले लगे हुए हैं।
1. ABB/BBC टाईप रिले- इस प्रकार के रिले में हरी तथा लाल रंग का LED लगी होती है। यदि हरे रंग की LED जलती है तब यह रिले इनरजाइज़ के लिए तैयार है और जब लाल रंग की LED जल जाती है तब रिले कस कॉइल इनरजाइज़ समझा जाएगा।
2. Woama टाईप रिले- इस प्रकार के रिले में केवल हरी LED लगी होती हैं। यदि हरी LED जलती है तो यह energise समझा जाएगा।
3.Cornet टाईप रिले:- लाल LED के फ्लिकर करने पर यह रिले energise से De-energise अवस्था में माना जाएगा ।
4.English Electric टाईप रिले:- यह रिले energise होने पर इसमें लगा हुआ मोबाईल कॉन्टेक्ट लिवर दबाने पर नहीं दबेगा।
रिले वेज करने का तरीका
कोई भी रिले वेज करने के पहले डीजे खोलकर पेन्टो लोवर करके बैटरी ऑफ कर देना चाहिए ।
एवीबी / बीबीसी टाईप- मोवाईल कॉन्टेक्ट आर्म को सुटेबल वुडेन वेज की सहायता से energise अवस्था में वेज करने के लिए मोबाईल कॉन्टेक्ट आर्म और टॉप प्लेट के बीच लगाइए , परन्तु De-energise अवस्था में वेज करने के लिए मोबाईल कॉन्टेक्ट आर्म और बेस प्लेट के बीच लगाना चाहिए।
वोमा टाईप- कुछ वोमा टाईप रिले में नॉब लगा है, जिसे क्लाकवाइज घुमाने पर, वह रिले energisc अवस्था में वेज हो जाएगा। यदि नॉब नहीं उपलब्ध है। तब कॉन्टेक्ट होल्डर दबाकर सुटेबल वेज लगाने से रिले वेज हो जाएगा।
कॉमेट टाईप- ऐसे रिले को energise अवस्था में वेज करने के लिए सबसे पहले लाकींग नॉब को दाहीनी तरफ खींचकर वेजींग नॉब क क्लाकवाइज दिशा में घुमा दे। यह रिले De-energise अवस्था में वेज नहीं होता है।
इंग्लिश इलेक्ट्रीक टाईप ऐसे रिल को वेज करने के लिए आर्मेचर और
प्लंजर के बीच सटेबल वेज लगाये और सुनिश्चित करें कि रिले के डी-एनेरजाइज़ अवस्था मे वेज हो गया है।
*****
नोट:- Q44, Q-45, Q-46, Q-48, Q-49, Q-52 रिले को वेज नही किया जा सकता है।
Q-50, Q-100, Q-118, QCON, QSVM, QTD-101, PR-1 रिले को आवश्यकता पड़ने पर energise अवस्था में wedge किये जा सकते है।
इंटरलॉक्स
लोकोमोटिव के सभी आपरेशन एक उचित कम में हो, इस कार्य के लिए इंटरलॉक का व्यवहार होता है । अर्थात आपरेशनल सिक्वेन्स को ठीक से कराने के लिए जो अरेन्जमेंन्ट किये गये हैं, इंटरलाक कहलाते हैं । रिले के इंटरलॉक दो प्रकार के होते हैं।
1 अण्डर इटरलोक (Normally Open Interlock):- यह इंटरलॉक्
रिले के De-energise,अवस्था में रहने पर खुले रहते हैं. और रिले के Energisc अवस्था में रहने पर बंद रहते हैं ।
2. अपर इंटरलाक (Normally Close Interlock):- यह इटरलोक रिले के Energise अवस्था में रहने पर खुले रहते हैं, और रिले के De-energise अवस्था में रहने पर बंद रहते हैं ।
नोट:- यदि रिले या काँटेक्टर De-Enerzies रहता हैं तो उसका NCI (Normally Close Interlock) सर्किट को जोड़कर रखता है। लेकिन उसका NOI (Normally Open Interlock) सर्किट को खोल कर रखता है।
किंतु रिले या काँटेक्टर Enerzies होता हैं तो उसका NCI (Normally Close Interlock) सर्किट को काट देता है और उसका NOI (Normally Open Interlock) सर्किट को जोड़ देता है।
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यह एक ऐसा यंत्र है जो किसी इलेक्ट्रिकल आपरेशन जैसे सर्किट में वोल्टेज करेन्ट की मात्रा, किसी उपकरण का ठीक-ठीक काम करना अथवा किसी आपरेशन का एक कमबद्ध तरीके से जाँच करने के लिए लगा हुआ है। यह काम relay, energise या De-energise होकर करता है । यह भी रिमोट कन्ट्रोल होता है । इसके मुख्य रूप से दो भाग होते है।
मैकेनिकल डिवाईस तथा एक्जीलरी कॉन्टेक्ट।
Relay मुख्यत दो प्रकार के होते है।
A. इलेक्ट्रीकल रिले (Electrical Relay)
1. वोल्टेज रिले (Voltage Relay):- Q-20. Q-30. QOP-1. QOP-2, QOA, QCVAR
2. करंट रिले (Current Relay)- QLM, QRSI-1 & 2, QLA, QE, QF-1&2, QD -1&2
B. मेकैनिकल रिले (Mechanical Relay)
1. Pressure Relay/Switch:- प्रेसर रिले निम्नलिखित हैं।
QPDJ, RGEB, RGCP, RGAF, SWC, P1, P2
2. Circulation Relay :- यह दो तरह के होते है।
I. Air Circulation Relay:- QVMT1-2, QVRH, QVSL-1& 2, QVSI-1& 2, QVRF
ii. Oil Circulation Relay:- QPH
Electric लोको में निम्नलिखित प्रकार के Relay लगे हुए है।
1. सेफ्टी रिले (Safety Relay) :- वह रिले जिनका auxiliary contact MTDJ branch पर लगा होता है और संबंधित सर्किट में किसी प्रकार की खराबी होने पर energise होकर अपने auxiliary contact (interlock) के माध्यम से MTDJ branch की सप्लाई काट देता है , सेफ्टी रिले कहलाता है । साधारणत सभी सेफ्टी रिले में लाल
टारगेट लगा रहता है, जो उसके energise होने पर ड्राप कर जाता है। केवल (QLM relay में मेकेनिकल लॉक उपलब्ध है। ) इसलिए लाल टारगेट रिसेट किये बिना उसका interlock MTDJ branch पर नहीं बैठता है । सभी सेफ्टी रिले कैब -2 में ALP की तरफ लॉकर में अवस्थित है । जैसे- QLM, QRSI, QOP, QOA/QSIT
2. कन्ट्रोल रिले (Control Relay):- जो रिले किसी उपकरण के कार्य का नियंत्रण करता है कन्ट्रोल रिले कहलाता है। जैसे-Q100
3. ऑक्सीलियारी रिले(Auxiliary Relay):- वह रिले जो दूसरे रिले की सहायता करता है आकजीलरी रिले कहलाता है। जैसे Q-118, रिले Q-44 का आक्जीलरी रिले है।
4. टाईम डिले रिले-आन टाईप रिले-QTD-105, QTD-106, QTD-101, और QSVM
5. टाईम लैग रिले-ऑफ टाईप रिले-Q-118, Q-119, Q-44 और PR-1
रिले के प्रकार( (Types of Relay)
लोको में निम्नलिखित प्रकार के रिले लगे हुए हैं।
1. ABB/BBC टाईप रिले- इस प्रकार के रिले में हरी तथा लाल रंग का LED लगी होती है। यदि हरे रंग की LED जलती है तब यह रिले इनरजाइज़ के लिए तैयार है और जब लाल रंग की LED जल जाती है तब रिले कस कॉइल इनरजाइज़ समझा जाएगा।
2. Woama टाईप रिले- इस प्रकार के रिले में केवल हरी LED लगी होती हैं। यदि हरी LED जलती है तो यह energise समझा जाएगा।
3.Cornet टाईप रिले:- लाल LED के फ्लिकर करने पर यह रिले energise से De-energise अवस्था में माना जाएगा ।
4.English Electric टाईप रिले:- यह रिले energise होने पर इसमें लगा हुआ मोबाईल कॉन्टेक्ट लिवर दबाने पर नहीं दबेगा।
रिले वेज करने का तरीका
कोई भी रिले वेज करने के पहले डीजे खोलकर पेन्टो लोवर करके बैटरी ऑफ कर देना चाहिए ।
एवीबी / बीबीसी टाईप- मोवाईल कॉन्टेक्ट आर्म को सुटेबल वुडेन वेज की सहायता से energise अवस्था में वेज करने के लिए मोबाईल कॉन्टेक्ट आर्म और टॉप प्लेट के बीच लगाइए , परन्तु De-energise अवस्था में वेज करने के लिए मोबाईल कॉन्टेक्ट आर्म और बेस प्लेट के बीच लगाना चाहिए।
वोमा टाईप- कुछ वोमा टाईप रिले में नॉब लगा है, जिसे क्लाकवाइज घुमाने पर, वह रिले energisc अवस्था में वेज हो जाएगा। यदि नॉब नहीं उपलब्ध है। तब कॉन्टेक्ट होल्डर दबाकर सुटेबल वेज लगाने से रिले वेज हो जाएगा।
कॉमेट टाईप- ऐसे रिले को energise अवस्था में वेज करने के लिए सबसे पहले लाकींग नॉब को दाहीनी तरफ खींचकर वेजींग नॉब क क्लाकवाइज दिशा में घुमा दे। यह रिले De-energise अवस्था में वेज नहीं होता है।
इंग्लिश इलेक्ट्रीक टाईप ऐसे रिल को वेज करने के लिए आर्मेचर और
प्लंजर के बीच सटेबल वेज लगाये और सुनिश्चित करें कि रिले के डी-एनेरजाइज़ अवस्था मे वेज हो गया है।
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नोट:- Q44, Q-45, Q-46, Q-48, Q-49, Q-52 रिले को वेज नही किया जा सकता है।
Q-50, Q-100, Q-118, QCON, QSVM, QTD-101, PR-1 रिले को आवश्यकता पड़ने पर energise अवस्था में wedge किये जा सकते है।
इंटरलॉक्स
लोकोमोटिव के सभी आपरेशन एक उचित कम में हो, इस कार्य के लिए इंटरलॉक का व्यवहार होता है । अर्थात आपरेशनल सिक्वेन्स को ठीक से कराने के लिए जो अरेन्जमेंन्ट किये गये हैं, इंटरलाक कहलाते हैं । रिले के इंटरलॉक दो प्रकार के होते हैं।
1 अण्डर इटरलोक (Normally Open Interlock):- यह इंटरलॉक्
रिले के De-energise,अवस्था में रहने पर खुले रहते हैं. और रिले के Energisc अवस्था में रहने पर बंद रहते हैं ।
2. अपर इंटरलाक (Normally Close Interlock):- यह इटरलोक रिले के Energise अवस्था में रहने पर खुले रहते हैं, और रिले के De-energise अवस्था में रहने पर बंद रहते हैं ।
नोट:- यदि रिले या काँटेक्टर De-Enerzies रहता हैं तो उसका NCI (Normally Close Interlock) सर्किट को जोड़कर रखता है। लेकिन उसका NOI (Normally Open Interlock) सर्किट को खोल कर रखता है।
किंतु रिले या काँटेक्टर Enerzies होता हैं तो उसका NCI (Normally Close Interlock) सर्किट को काट देता है और उसका NOI (Normally Open Interlock) सर्किट को जोड़ देता है।
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